
वहां सजती... खनखनाती चूड़ियों में..
कटे गन्नों और बताशों में..
झूलों पर झूलते बच्चों की उन्मुक्त हंसी में...
मेले में जहाँ-तहां रमते उस सौंधेपन को छुआ...
हाँ... मैंने आज खुशबू को छुआ....
गुजरते हुए गाँव की उन संकरी पगडंडियों से...
वहां बहती ठंडी-ठंडी बयार में...
लहराहते पोधो की क्यारियों में सिमटी...
गीली मिटटी से आती उस ताजगी को छुआ...
हाँ... मैंने आज खुशबू को छुआ...
(रांची के स्थानीय मुंडमा मेले से वापस लौटकर)
बहुत खूब!!! ऐसे खुशबूएं जेहन में रच बस जाती हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंvery good keep it up
जवाब देंहटाएंLovely lines.... A ray of your bright future.... ALL THE BEST!!!
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