
कहते है कला की कोई सीमा नही होती। यह न तो किसी सरहद में बंधी होती है और न ही किसी सियासी बयानों के दवाब में अपना रंग बदलती है। अब भले ही भारत और पाक की सरकारें एक दुसरे से बात करने या न करने की कशमकश में ही उलझी रहे लेकिन इसी बीच एक कलाकार ने अपने गीत के जरिये दोनों मुल्कों में अमन का संदेश देने की कोशिश की है।
एक साजिश चली है ... तेरे शहर में, मेरे शहर में
के कोई रह न पाए ... तेरे शहर में, मेरे शहर में
जो रह भी जाए गलती से... उससे रात दे दो, . दोपहर में।
वो कहता है की में पाकिस्तानी हूँ लेकिन मुंबई से बीन्तेहा मुहोबत करता हु। उसका मन्ना है की अमन की दरकार बॉर्डर के इस ओर भी है और उस ओर भी। हर शख्स चाहे वो हिन्दुस्तानी हो या पाकिस्तानी जंग से उकता गया है। अब हमें अमन और चैन का रास्ता तैयार करना होगा क्यूंकि हम सिर्फ़ दो पड़ोसी देशों के बाशिंदे नही बल्कि उससे कंही बड़कर हैं। फिर आपस में ये कड़वाहट क्यूँ।
यह किसी सियासतदां का बयां नही, न ही किसी फ़िल्म की लाइंस हैं। इंडो पाक पीस पर बने इस एल्बम में महात्मा गाँधी, मोहमद अली जिन्ना, बेनजीर भूतो और बराक ओबामा जैसे लोकप्रिय नेताओं के शान्ति वक्तव्यों को उनकी ही आवाज में लिया गया है। इसपर शहवार का कहना है की शान्ति का संदेश तो वैश्विक है, फिर चाहे ये गाँधी जी की जुबान से निकला हो या जिन्ना साहब की।
लाहोर में जन्मे शहवार ने अमेरिका के ट्रिनिटी कॉलेज से अपनी पडी पुरी करने वाले इस प्रगतिशील युवा ने विज्ञापन से अपना करियर शुरू किया और फिर उनका संगीत की तरफ़ ऐसा रुझान हुआ की फिर दुबारा उन्होंने वापस मुड़कर नही देखा। फिर आया इस एल्बम को बनने का विचार। शहवार इस एल्बम के बारे में आगे बताते हैं की 'भारत पाक विभाजन की पीडा से दोनों मुल्कों के लोग उबार चुके है। वह अब आपसी रिश्तों में गर्माहट देखना चाहते है। हमारे कितने ही रिश्ते नाते हिंदुस्तान की सरजमी से जुड़े हुएय हैं उन्हें भुलाना मुश्किल है। तो क्या हुआ अगर में एक पाकिस्तानी हूँ या मुस्लिम हूँ, मैं भी भारत में बसे अपने हिंदू, सिख, इसाई साथी की तरह ही सोच रखता हूँ। मुझे गर्व है की में एक पाकिस्तानी हूँ लेकिन आज मेरा पाक किसी कातर्पन्थिओन का पाक नही बल्कि आइसे बाशिंदों का देश है जिनके दिलों में आज भारत और यंहा क लोगों के लिए सची मोह्होबत और सची दोस्ती का पैगाम है। इस एल्बम के जरिये में दोनों देशों की आवाम को यही संदेश देना चाहता हूँ की बस अब बहुत हुआ ... अब किसी कीमत पर हमें आपसी तकरार नही करनी चाहिए।'