रविवार, 13 फ़रवरी 2011




आज
देखा एक छोटा-सा सपना
जिसमें आसमां रुई-सा उड़ता बादल था...
घिरी थी दूर-दूर तक हरियाली की चादर
हवाओं में घुली थी एक महक...
जो एहसास करा रही थी किसी के साथ होने का
पर आँखें खुली तो जाना,
सपना
टूट चूका था...!!

4 टिप्‍पणियां:

  1. पर वो सपना सच से ज्यादा सुहाना था,
    जो तुम्हारे साथ होने का एह्सास दिला गया,
    जो जिन्दगि दिखा गया,
    ....ले चलो मुझे उस सप्ने मे फिरसे,
    और रेहेने दो करिब तुम्हारे!!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
  2. सपने हमारी अन्तः इच्छाओं की काल्पिन अभिव्यक्ति हैं जो कभी कभी पूरा नहीं हो पाते ..
    मगर सपने देखना जिजीविषा का परिचायक है और उसे पूरा करने के लिए कर्तव्य के लिए संबल
    मेरे ब्लॉग पर विचार देने के लिए आभार...


    सपने की पीड़ा

    जवाब देंहटाएं